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मराठी निवारा जगायला तसे आभास काय नकोच सावराया हवे आता हवे काळा डोह माणुसकी कविता विचारले विश्रांती वास्तव दूर सारे गरिबी वाटते अश्रू

Marathi हवे हवेसे Poems